पहेलियाँ
1———— काटने से कटती नहीं मारने से मरती नहीं साथ-साथ चलती है बेबाक अकड़ती है। ( उत्तर – छाया )
Read Moreभारतीय सेना और भारतीय पुलिस विभाग के गौरवशाली इतिहास के बारे में चर्चा करने के लिए शब्द कम पड़ जाते
Read Moreतिरंगे में लिपटे शवों को नमन हमारा नमन तुम्हारा नमन। चल दिए मुस्कुरा कर वतन के लिए हो गए कुर्बान
Read Moreभारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ
Read Moreबचपन में मेरे बगीचे में उगती थी दुबा वाली हरी घास माँ कहती लाडो ठाकुर जी के लिए दुबा और
Read Moreअरे भाई ! रुकना जरा समय क्या हुआ ? थोड़ा जल्दी पहुंचना था व्यस्तता के कारण आभास ही न रहा
Read Moreतुम समझते क्यों नहीं मुझ में भी जान है कहा न- सच में प्राण है मुझमें दर्द भी होता है
Read Moreनासमझ मन नकारात्मक सोच में डूबा जंगल की लताओं सा उलझा रहता है ढूंढता उजाले को अंधेरे रास्ते पर चल
Read Moreसड़क के किनारे फुटपाथ पर पड़े कूढ़े के ढेर के पास बैठा जूठन टटोलता कड़कड़ाती ठंड में मात्र निजी अंग
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