व्यथा
अनकही अनरीति तीव्रव्यथा वेगवती हो बह रही नयन से । पलकों ने रोका अलकों ने ढका झीनी झीनी दिख रही
Read Moreहमारा देश भारत अपने आप में बसी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए दुनियाभर में विख्यात है। हमारे देश में
Read Moreहूँ मैं दीप माटी का किंतु अंधेरों से लड़ूँगा काट कर तम को जड़ से प्रकाश की ओर बढूँगा। चाँद
Read Moreभारतीय संस्कृति का केनवास विशाल है और उस पर हर प्रकार के रंग और जीवंतता है। यह देश कई सदियों
Read Moreक्यों ठहरे तुम जीवन पथ पर लहरों से डरकर मेरे साथी ठहराव नहीं अच्छा साथी। क्यों ठहरे तुम कंटक पथ
Read Moreछोड़ दो तराशना अब मासूम पत्थरों को हो सके तो कभी खुद को भी तराश लो। तराश कर पत्थरों को
Read Moreआहिस्ता-आहिस्ता चलो पांव से यह पायल खनक न जाए पांव से खनकेगी पायल तो दिल मचलेंगे आधी रात में मिलने
Read Moreबिखरे यादों के पन्नों से थक गई कलम डायरी फिर हार गई। कोशिश थी मेरी सहेजने समेटने की रखा था
Read Moreभारतीय औरत तू कब तक डरती दबती रहेगी कब तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ी रहेगी क्यों नहीं पहचानती तू
Read Moreस्वस्तिक चिन्ह भारतीय संस्कृति में हिन्दू धर्म का मंगल प्रतीक है। इसे सातिया भी बोला जाता है। यह हमारे महान ऋषि
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