असीम शक्ति
है कण-कण में भगवान तू है अबोध अज्ञान तू झाँक हृदय के अंदर है मिल जाएगा ज्ञान है सारी अद्भुत
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Read Moreउम्र पचास के ऊपर की बड़ी हसीन होती है आधी तो तो कट चुकी चौथाई बाकी होती है। जीवन जीने
Read Moreशरद पूर्णिमा की शरद रात थी चमक चांदनी छिटकी हुई थी । कनक किरणों के मोह जाल में वियोगी वसुधा
Read Moreमैं कारक जीवन उत्पत्ति का विद्युत का विस्तृत स्रोत हूँ । जलधि, नीरधि वारिधि बनकर मानव संस्कृति का मैं देव
Read Moreलेख -स्वामी विवेकानंद और उनका देश प्रेम” अगर यह कहा जाए कि स्वामी जी का देश प्रेम अकथनीय या अवर्णनीय
Read Moreशीर्षक – “पन्ने मेरी पुस्तक के” सहेज कर रखी है कुछ यादें मैंने अपने पुस्तक के पन्नों पर वो सुखात्मक-
Read Moreमेरे घर से लगभग चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर एक अनाथ- आश्रम है। जिसमें दो साल से लेकर पंद्रह साल
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