अलख
आओ मिलकर अलख जगाएँ धरती को फिर स्वर्ग बनाएँ । न रहे कोई अनपढ़ निरक्षर सबको अक्षर ज्ञान कराएँ ,
Read Moreलेख -स्वामी विवेकानंद और उनका देश प्रेम” अगर यह कहा जाए कि स्वामी जी का देश प्रेम अकथनीय या अवर्णनीय
Read Moreशीर्षक – “पन्ने मेरी पुस्तक के” सहेज कर रखी है कुछ यादें मैंने अपने पुस्तक के पन्नों पर वो सुखात्मक-
Read Moreमेरे घर से लगभग चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर एक अनाथ- आश्रम है। जिसमें दो साल से लेकर पंद्रह साल
Read Moreलो फिर आ गई सावन की झड़ी मोहन के इंतजार में राधा है खड़ी। करके सोलह श्रृंगार राधा मन मोहन
Read Moreअनोखा अद्वितीय देश हमारा जहाँ पहुंच अनजान पथिक को मिलता सम्मान सहारा ।। जहाँ प्रथम मानव ने खोली अपने नयनों
Read Moreकाँटों से घिरा पर मुस्कराता गुलाब कठिनाइयों से घिरा अजनबी सा खिल रहा है। दूसरी तरफ मानव काँटों से दूर
Read Moreचेहरे पर कसक की झलक सिर पर ईंटों का भारी बोझ , यह मेरे अद्वितीय भारत की अद्भुत, जीवंत, कर्मठ
Read Moreमुझे आज भी याद आते हैं वे दिन जब हमारे शहर में कवि सम्मेलन और मुशायरा होता था । कवियों को
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