कोरा कागज़
हाँ ! मैं कोरा कागज हूँ सबसे अलग हूँ । लिखना बहुत सोच समझ कर मत करना गंदा मेरे वजूद
Read Moreसुनाई दे रही थी आवाजें अस्पताल की दीवारों से मरीज़ों की दर्द से करहाती आवाजें , मरीजों को संभालती नर्सों
Read Moreमैं जिस विद्यालय में उपप्रचार्या के पद पर कार्यरत थी, उसी विद्यालय में एक सुमिता. नाम की स्त्री मेरे कार्यालय
Read Moreआज लगभग एक साल हो गया उसको देखते हुए वह प्रति दिन प्रातः काल ठीक आठ चालीस पर उसके घर
Read Moreमनुष्य अपनी छिपी हुई शक्तियों को पहचाने बिना शक्तिशाली नहीं बन सकता ।जो जैसा अपने को जानता है, वो वैसा
Read Moreहूँ मैं कण- कण में व्याप्त , पर है मुझे बहुत संताप । मैं हूँ देवनागरी हिन्दी, माँ भारती के
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