नई सुबह
एक नई सुबह का आगाज दे गया कोमल सौगात। भिन्न ध्वानियों का मिश्रण कर रहा जैसे निरीक्षण। हमारी तुम्हारी जिंदगी
Read Moreबैठी थी मैं उदास एकांत में छत के कोने में छिपकर, देख लिया शरद के चाँद ने । खेलने लगा
Read Moreबरसात के कारण घर की छत बेहाल थी कमरे की सिलिंग सीलन से भरी थी। बीमारी के कारण सात दिन
Read Moreकभी लोग पूछने लगते हैं कि यह राष्ट्र बोध क्या है ? स्वराष्ट्र के उत्थान एंव उसकी सुरक्षा के प्रति
Read Moreहे शारदे माँ, हे शारदे माँ अंधेरे से हमको तू तार दे माँ। सरगम के सारे स्वर है तुझसे आरोह
Read Moreआज चाँद मुझसे बोला अरे ! सुनो मैं फिर आ गया और तुम अब तक बैठे हो उदास, मैं हर
Read Moreहै दूर देश से आई नदी, चलकर सागर के पास। सागर ने ले कर बाहों में, किया खूब स्वागत सत्कार।
Read More