लेख : राष्ट्र बोध
कभी लोग पूछने लगते हैं कि यह राष्ट्र बोध क्या है ? स्वराष्ट्र के उत्थान एंव उसकी सुरक्षा के प्रति
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Read Moreहे शारदे माँ, हे शारदे माँ अंधेरे से हमको तू तार दे माँ। सरगम के सारे स्वर है तुझसे आरोह
Read Moreआज चाँद मुझसे बोला अरे ! सुनो मैं फिर आ गया और तुम अब तक बैठे हो उदास, मैं हर
Read Moreहै दूर देश से आई नदी, चलकर सागर के पास। सागर ने ले कर बाहों में, किया खूब स्वागत सत्कार।
Read Moreयह घर मेरा, यह मकान तेरा । दुकान, जमीन हीरा,पन्ना, सोना, चांदी रूपया-पैसा, धन दौलत मेरा-तेरा करके अपने-पराये होकर लड़ना-
Read Moreपत्थर तोड़ती मैं कर्मठ नारी , मत समझो मुझको बेचारी । सीने में दिल मैं भी रखती हूँ, बिटिया मेरी
Read Moreचार दिन के प्रवास पर में दिल्ली आई थी लाजपत नगर के एक होटल में रूकी थी । होटल की
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