कहानी- महामारी और रिश्ते
हमारी पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी स्टेट बैंक में मैनेजर थे। सेवा निवृत्त हुए लगभग दस साल हो चुके
Read Moreहमारी पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी स्टेट बैंक में मैनेजर थे। सेवा निवृत्त हुए लगभग दस साल हो चुके
Read Moreपुरजोर कहा था तुमसे बचा लो इस धरती को मत उजाड़ों इसका चमन यहाँ जन्मा हर इंसान हम सब इसकी
Read Moreकौन कहता है मैं विकलांग हूँ? एक पैर नहीं है तो क्या अपने पैरों पर तो खड़ा हूँ। नहीं हूं
Read Moreसुख-दुख मन के दो भाव हो मन के अनुकूल तो सुख हो मन के प्रतिकूल तो दुख, सुख-दुख मन की
Read Moreअंबर स्वच्छ अंतरिक्ष स्वच्छ, कल कल करती तटिनी स्वच्छ। वसुधा स्वच्छ वसुंधरा स्वच्छ उदधि का बहता नीर स्वच्छ। भूधर स्वच्छ
Read Moreहो गया राम अवतार होगा फिर से राम राज। दुराचार का होगा नाश सदाचार का होगा काज। अब हर बालक
Read Moreअनुचरी बन घूमती है घर लौटी मजदूरन प्यार से वंचित व्यथित केवल देह मात्र होकर जुट जाती है घरेलू कामकाज
Read Moreअखिल और जीवेश बचपन के मित्र थे। पर आदतों में दोनों एक दूसरे के विपरीत। जीवेश बहुत ही अनुशासित और
Read Moreहे ! राम तुम कहाँ हो ? धरती के कण-कण में तुम परती के जन-मन में तुम क्षिति-जल-पावक में तुम
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