अनुचरी बन घूमती है
अनुचरी बन घूमती है घर लौटी मजदूरन प्यार से वंचित व्यथित केवल देह मात्र होकर जुट जाती है घरेलू कामकाज
Read Moreअनुचरी बन घूमती है घर लौटी मजदूरन प्यार से वंचित व्यथित केवल देह मात्र होकर जुट जाती है घरेलू कामकाज
Read Moreअखिल और जीवेश बचपन के मित्र थे। पर आदतों में दोनों एक दूसरे के विपरीत। जीवेश बहुत ही अनुशासित और
Read Moreहे ! राम तुम कहाँ हो ? धरती के कण-कण में तुम परती के जन-मन में तुम क्षिति-जल-पावक में तुम
Read Moreबहुत समझाया था न करो कैद पिंजरे में पर तुम्हें तो मुझे पिंजरे में बंद देख आनंद लेना था। मेरे
Read Moreचरित्र – 1- भानू प्रताप बेटा- मल्टीनेशनल कंपनी में डायरेक्टर 2-अमृता- भानू प्रताप की पत्नी (ब्यूटी पार्लर की मालकिन) 3-चाहत
Read Moreसर सरोवर सब भर गये सर्वत्र सरोज खिल गये, चहूँ ओर छवि छा गई नवयुग चेतना आ गई। अद्भुत अभिन्न
Read More