मेरी गौरव गाथा
मैं ही हूं , छोटी इ, और मैं ही बड़ी, ई की प्रदातासदियों से, चली आ, रही है मेरी अलौकिक,
Read Moreमैं ही हूं , छोटी इ, और मैं ही बड़ी, ई की प्रदातासदियों से, चली आ, रही है मेरी अलौकिक,
Read Moreआपके बिना, श्याम लागे आधेजय-जय, जय-जय, श्री राधे।। श्री वृषभानु जी, की राज दुलारीसर्व दुःखों से, वह तारणहारीदर्शन कर, भक्तों
Read Moreहो सका, तो हम,कल फिर मिलेंगेअपनी कहेंगे तो,कुछ उनकी सुनेंगेजिंदगी में फिर से, नये रंग भरेंगेहो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।
Read Moreबारिश का जोर है,मौसम खराब हैपर सड़कों पर, उमड़ा सैलाब हैभगवान श्री जगन्नाथ, की रथयात्राके दर्शन को, जन-जन बेताब है।।
Read Moreधीरे-धीरे, नन्हा पौधा बढ़ता जा, रहा थापास खड़ा, वटवृक्ष अपनी पीठ, थपथपा रहा था । वृक्ष ख़ुश था, यह सोचकर
Read Moreभीषण गर्मी में, चुनाव क्यों कराएकार्यकर्ता घर से, निकल न पाएसही मौसम में, जो मतदान होतापरिणाम बिल्कुल, पलट कर होत
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