ग़ज़ल
फिर से आ जाओ ज़िंदगी बनकरमुझपे छा जाओ बेख़ुदी बनकरजा रहा हूं तुम्हारी बज़्म से परफिर से आऊंगा ज़िन्दगी बनकरशाम
Read Moreयही जी चाहता है बस इन्हीं खेतों में खो जाऊँइसी मिट्टी में रम जाऊँ इसी दुनिया में खो जाऊँ इसी
Read Moreतुम्हारी बेरुखी फिर मुझको न रुसवा कर देफिर न एक बार मुझे ख़ुद में अकेला कर दे मैं जानता हूं
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