कभी गंगा कभी जमुना कभी पंजाब हो जाऊँ!
यही जी चाहता है बस इन्हीं खेतों में खो जाऊँइसी मिट्टी में रम जाऊँ इसी दुनिया में खो जाऊँ इसी
Read Moreयही जी चाहता है बस इन्हीं खेतों में खो जाऊँइसी मिट्टी में रम जाऊँ इसी दुनिया में खो जाऊँ इसी
Read Moreतुम्हारी बेरुखी फिर मुझको न रुसवा कर देफिर न एक बार मुझे ख़ुद में अकेला कर दे मैं जानता हूं
Read Moreदर्द आशोब के मंज़र भी हमने देखे हैंआग में जलते हुए घर भी हमने देखे हैंसाथ रहते हुए मासूम –
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