ग़ज़ल
नफे – नुकसान का बंधन नहीं थाये दिल व्यापार का आंगन नहीं था बिका करता था यों तो कौड़ियों मेंमगर
Read Moreतुम्हारी बेरुखी फिर मुझको न रुसवा कर देफिर न एक बार मुझे ख़ुद में अकेला कर दे मैं जानता हूं
Read Moreदर्द आशोब के मंज़र भी हमने देखे हैंआग में जलते हुए घर भी हमने देखे हैंसाथ रहते हुए मासूम –
Read Moreकुछ खोकर कुछ पाकर जाना, जीवन क्या हैदु:ख से हाथ मिलाकर जाना, जीवन क्या है चलते – चलते शाम हो
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