ग़ज़ल
नींद आंखों में नहीं थी कि कोई आएगानहीं मालूम था कि रस्म भर निभाएगा वो चला जाएगा कुछ चहलकदमियां करकेफिर
Read Moreकुछ खोकर कुछ पाकर जाना, जीवन क्या हैदु:ख से हाथ मिलाकर जाना, जीवन क्या है चलते – चलते शाम हो
Read Moreमन का मौसम ठीक नहीं तो होठों पर भी गीत नहीं।अरसा हुआ हृदय के पथ से गुजरा कोई मीत नहीं।
Read Moreकहां खो गए तुम मुझे छोड़ कर केकहां छुप के बैठे हो मुंह मोड़ कर के।चलो आओ सम्मुख करो मुझसे
Read Moreनिकल आओ ओढ़ करके शाल फिर बातें करें देख लूँ मैं फूल जैसे गाल फिर बातें करें मैं सुनाऊँ हाल
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