ग़ज़ल
ज़मीं वफाओं की ताज़ातरीन देखनी हैतुम्हारे साथ ये दुनिया हसीन देखनी है कि देख ली है सियासत तो हमने साँपों
Read Moreदर्द आशोब के मंज़र भी हमने देखे हैंआग में जलते हुए घर भी हमने देखे हैंसाथ रहते हुए मासूम –
Read Moreकुछ खोकर कुछ पाकर जाना, जीवन क्या हैदु:ख से हाथ मिलाकर जाना, जीवन क्या है चलते – चलते शाम हो
Read Moreमन का मौसम ठीक नहीं तो होठों पर भी गीत नहीं।अरसा हुआ हृदय के पथ से गुजरा कोई मीत नहीं।
Read More