गज़ल
गर इस जहान में गर कहीं भी खुदा होगा। यकीनन वो गूंगा, अंधा और बहरा होगा। उस के हौसले इस
Read Moreकिस मोड़ पे आ के खडी है जिंदगी। ख़्वाबों की लाश लगती है जिंदगी। बिकने लगे हैं सत्य और ईमान
Read Moreसबको है गुमां, मगर, मुकम्मल कोई नहीं। सूने पडे पनघट, चहलपहल कोई नहीं। दूर तक कोई शजर नही, कोई आसरा
Read Moreश्रध्येय अजर अमर आत्मा श्री गोपाल दास नीरज जी की स्मृति में एक युग बीता, इतिहास रचकर चला गया। तिशनगी
Read Moreउस पारे बरसे , हम से निर्मोही हो गए बादल। तरस रही अँखियाँ, के परदेशी हो गए बादल। पहाड़ों से
Read Moreवो जो आजकल अपना अपना सा लगता है। मुझ को तो वो बचपन का मितवा लगता है। यूँ चलते चलते
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