सब चाहते हैं
सब चाहते हैं साथ यौवन का। किसने साथ निभाया बचपन का। छूट गईं सखियां छूट गये बाग बगीचे, तैरते हैं
Read Moreसब चाहते हैं साथ यौवन का। किसने साथ निभाया बचपन का। छूट गईं सखियां छूट गये बाग बगीचे, तैरते हैं
Read Moreनई आशा नये सपने लाई है सांझ की बेला। मानो मंजिल की अंगड़ाई है सांझ की बेला। कदम थिरक रहे
Read Moreसब को है गुमां, मगर, मुकम्मल कोई नहीं। सूने पडे पनघट, चहलपहल कोई नहीं। दूर तक कोई शजर नहीं, कोई
Read Moreखिले टेसु जैसे कि षोडशी की तरुणाई सी। रूत हुई महुआ सी, जिंदगी फिरे बौराई सी। रितुराज के स्वागत में
Read Moreमन की व्याकुलता का व्यापार किया जाए,सपनों के पनघट पे। जीवन में फिर चेतना का संचार किया जाए,सपनों के पनघट
Read Moreन रुठो बेवजह, थोड़ी सी जहमत कर लो। जाने कल क्या हो, के आओ मौहब्बत कर लो। ये भी एक
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