साजिशें
अंधेरों ने की है साजिशें, मिल के हवाओं के साथ। दिया हूँ जलता रहूँगा, दोस्तों की दुआओं के साथ। हो
Read Moreश्रध्येय अजर अमर आत्मा श्री गोपाल दास नीरज जी की स्मृति में एक युग बीता, इतिहास रचकर चला गया। तिशनगी
Read Moreउस पारे बरसे , हम से निर्मोही हो गए बादल। तरस रही अँखियाँ, के परदेशी हो गए बादल। पहाड़ों से
Read Moreवो जो आजकल अपना अपना सा लगता है। मुझ को तो वो बचपन का मितवा लगता है। यूँ चलते चलते
Read Moreसब चाहते हैं साथ यौवन का। किसने साथ निभाया बचपन का। छूट गईं सखियां छूट गये बाग बगीचे, तैरते हैं
Read Moreनई आशा नये सपने लाई है सांझ की बेला। मानो मंजिल की अंगड़ाई है सांझ की बेला। कदम थिरक रहे
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