लघुकथा- बैल
हरिया के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई. साहूकार कर्जे में अनाज के साथ बैल भी ले गया. कमल
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Read More”भाई शादी करनी है तो किसी ने किसी लड़की के लिए हां करनी पड़ेगी,” मोहन ने समझाया तो केवल बोला,
Read Moreरमन ने चकित होते हुए पूछा, ‘ उसके पास बहुत सारा पैसा था. फिर समझ में नहीं आता है उसने
Read Moreजैसे ही कोई बीमार होता वैसे ही वह मुंहफट कहता,” अरे भाई ! आपने नौकरी में हाय या ब्याज का
Read Moreस्वतंत्रता सैनानी औंकारलाल शास्त्री स्मृति पुरस्कार 2017 राजस्थान-सलूम्बर, हिन्दी बालकहानी को लेकर प्रविष्टियों के जरिए वर्ष 2017 में दिए जाने
Read Moreरानू ने घर में घुसते ही तिरछी निगाहों से घुरते हुए पिता से कहा,” ऐसे क्या देख रहे हो ?
Read More#लघुकथा_प्रवृत्ति आज पाचवीं बार विद्यालय की गिरी हुई कोट (खेल मैदान की दीवार) को दीर्धविश्रांति में वह ठीक कर रहा
Read Moreवह उन की इकलौती पुत्री थी. दोनों मातापिता अपनेअपने हिसाब से वर चुनना चाहते थे. माता ने कहा , “यह
Read Moreचतुरसिंह के पिता का देहांत हो चुका था. उसने अपने छोटे भाई कोमलसिंह को बंटवारा करने के लिए बुलाया, “बंटवारे
Read Moreलघुकथा – परम्परा ”यह असंभव है. हमारे यहां ऐसा नही होता है,” उस के ताऊजी ने जम कर विरोध किया.
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