लघुकथा- परम्परा
लघुकथा – परम्परा ”यह असंभव है. हमारे यहां ऐसा नही होता है,” उस के ताऊजी ने जम कर विरोध किया.
Read Moreलघुकथा – परम्परा ”यह असंभव है. हमारे यहां ऐसा नही होता है,” उस के ताऊजी ने जम कर विरोध किया.
Read Moreउस को कहना पड़ा, “ सर ! मैं ने उन्हें समय पर डेटाबेस दे दिया था. आप के कहने पर
Read Moreकाननवन में एक सियार रहता था. उस का नाम था सेमलू. वह अपने साथियों में सब से तेज व चालाकी
Read Moreएकदूसरे को देखा. सब याद आ गया. ऊन दोनों के पिता नही चाहते थे कि उन का प्रेम परवान चढ़े.
Read Moreसभी की घृणित निगाहें उसी टेबल पर टिक गई. “सभी इधर ही देख रहे है. भरी आँखे. टपकती लार, मुंह
Read Moreकम समय में लघुकथा की सीढियाँ चढ़ने वाली जांबाज लेखिका- कांता रॉय का ओमप्रकाश क्षत्रिय द्वारा लिया गया बेबाक साक्षात्कार
Read Moreमम्मी के मंगल-सूत्र , दादाजी की ड्रेस , भाई के मोबाइल और सेठजी के तकाजे के बीच रीना ने कहा,
Read Moreकच्चे आम हरेभरे है पक्के है पीलेपीले. रस भरे रसीले है लगते जैसे गीले गीले. इस को मुनिया खाएगी रस
Read Moreलघुकथा – आक्रोश ————————- गणितविज्ञान के साथ संस्कृत की स्थिति देख कर निरीक्षक महोदय बिफर पड़े, “ बच्चों का स्तर
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