अब क्या देखना बाकी है?
देख लिया, प्रजातंत्र को दम तोड़ते हुए, ठंड में, किसानों पर, पानी का फव्वारा छोड़ते हुए! अन्नदाता को, भूख से
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Read Moreकिसी को भी अगर, देना पड़े उधार, उधार की वापसी, न बने, मन का भार ! उधार लेने वाला, होगा
Read Moreरैन भई, चमके तारे, नभ पर, जैसे कि दीप जले और , सुधाकर ने, बिखेर दी, स्निग्ध अमिय अवनि के
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