मैं दरख़्त हूँ
मैं दरख़्त हूँ आप चाहें नाम भले ही कोइ भी दे दें चाहें तो नीम, बरगद, पलाश या फिर पारिजातक
Read Moreमैं दरख़्त हूँ आप चाहें नाम भले ही कोइ भी दे दें चाहें तो नीम, बरगद, पलाश या फिर पारिजातक
Read Moreकितनी मन्नतों के बाद कुछ बोलने लगा था मैं ! माँ थी वो । मगर उन्हें अपने ईश्वर पर श्रद्धा
Read Moreतुम घर आ गयी? कैसी हो तुम? कुछ खाना खाया था या नहीं? थकी भी होगी न? यही सारे सवाल
Read Moreमैं फ़कीरों की बस्ती में कहीं जा पहुंचा न जाने फिर क्यूं हंगामा खड़ा हो गया मंदिर की घंटी बजते
Read Moreहर शाम का इंतज़ार करती हो तुम इस कदर जैसे पंछी की उड़ान होती है घोंसले की तरफ़ तुम्हारी हर
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