सामाजिक

बंजारा 

सब कुछ रह जाएगा यहाँ चलता रहे बंजारा। न कहीं घर है न गाँव, फिर भी क्यूं लगाव है? चल चलता रहा अपनी गठरी को सदा कंधे पे लिए। समेटकर ज़िंदगी उसी में फिर भी न कोई अलगाव है।
तपिश हो भूमि की, चाहें हो आग पेट की, आगे बढ़ता रहता है। हर गाँव की मिट्टी को समेटे हुए, चलता रहता बस यही तो लगाव है। कहीं हो मौसम की मार, कहीं हो महंगाई की मार । कहीं हो अपनों की मार, कहीं आतंक के हैं लगे पड़ाव।
पाना न कुछ, न कुछ लेना मुझे, बस चलते ही रहना है। बंजारा हूँ मैं, न घर है, न कोई ठिकाना है। बस यूंही चलते रहना है … !

— पंकज त्रिवेदी

सुप्रभातम्
जब भी कुछ लिखते लिखते आत्मानुभूति प्रसन्नता की ओर अग्रेसर ले चलें तब वो अभिव्यक्ति सर्वकालीन-सर्वानुभूति में बदलते देर नहीं लगती। मन की ऐसी स्थिति में ऐश्वर्य की चमत्कृति होती है जो हमें दूसरों से अलग पहचान देती हैं।
आयासपूर्ण लेखन से बेहतर होगा हम चुपचाप कुछ नया पढ़ते रहें और अपने विचारों को संजोकर उस पर चिंतन करते रहें। विचारों की समृद्धि जैसे जैसे बढ़ती जाएंगी, कलम अपनेआप दौड़ती हुई हमें कहाँ से कहाँ ले जाएगी उसकी हम कल्पना भी हम नहीं कर सकते। साहित्य आयास का रूप नहीं, अनायास का अमूर्त रूप है। जो कागज़ पर आने के बाद मूर्त रूप में तबदील होता है।
शर्त यही कि वो अमूर्त से मूर्त तक इतनी सहजता से पाठकों को ले जाएं कि पाठकों के चित्त में प्रसन्नता ही व्याप्त हो जाएं।
अभिव्यक्ति अधिकार से नहीं, भक्ति और समर्पण की ज़मीं पर फूलती-फलती हैं।
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— पंकज त्रिवेदी

पंकज त्रिवेदी

जन्म- 11 मार्च 1963 पत्रकारिता- बी.ए. (हिन्दी साहित्य), बी.एड. और एडवांस प्रोग्राम इन जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन (हिन्दी) –भोपाल से साहित्य क्षेत्र- संपादक : विश्वगाथा (त्रैमासिक मुद्रित पत्रिका) लेखन- कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, रेखाचित्र, उपन्यास । पत्रकारिता- राजस्थान पत्रिका । अभिरुचि- पठन, फोटोग्राफी, प्रवास, साहित्यिक-शिक्षा और सामाजिक कार्य । प्रकाशित पुस्तकों की सूचि - 1982- संप्राप्तकथा (लघुकथा-संपादन)-गुजराती 1996- भीष्म साहनी की श्रेष्ठ कहानियाँ- का- हिंदी से गुजराती अनुवाद 1998- अगनपथ (लघुउपन्यास)-हिंदी 1998- आगिया (जुगनू) (रेखाचित्र संग्रह)-गुजराती 2002- दस्तख़त (सूक्तियाँ)-गुजराती 2004- माछलीघरमां मानवी (कहानी संग्रह)-गुजराती 2005- झाकळना बूँद (ओस के बूँद) (लघुकथा संपादन)-गुजराती 2007- अगनपथ (हिंदी लघुउपन्यास) हिंदी से गुजराती अनुवाद 2007- सामीप्य (स्वातंत्र्य सेना के लिए आज़ादी की लड़ाई में सूचना देनेवाली उषा मेहता, अमेरिकन साहित्यकार नोर्मन मेईलर और हिन्दी साहित्यकार भीष्म साहनी की मुलाक़ातों पर आधारित संग्रह) तथा मर्मवेध (निबंध संग्रह) - आदि रचनाएँ गुजराती में। 2008- मर्मवेध (निबंध संग्रह)-गुजराती 2010- झरोखा (निबंध संग्रह)-हिन्दी 2012- घूघू, बुलबुल और हम (હોલો, બુલબુલ અને આપણે) (निबंध संग्रह)-गुजराती 2014- हाँ ! तुम जरूर आओगी (कविता संग्रह) प्रसारण- आकाशवाणी में 1982 से निरंतर कहानियों का प्रसारण । दस्तावेजी फिल्म : 1994 गुजराती के जानेमाने कविश्री मीनपियासी के जीवन-कवन पर फ़िल्माई गई दस्तावेज़ी फ़िल्म का लेखन। निर्माण- दूरदर्शन केंद्र- राजकोट प्रसारण- राजकोट, अहमदाबाद और दिल्ली दूरदर्शन से कई बार प्रसारण। स्तम्भ - लेखन- टाइम्स ऑफ इंडिया (गुजराती), जयहिंद, जनसत्ता, गुजरात टुडे, गुजरातमित्र, फूलछाब (दैनिक)- राजकोटः मर्मवेध (चिंतनात्मक निबंध), गुजरातमित्र (दैनिक)-सूरतः गुजरातमित्र (माछलीघर -कहानियाँ) सम्मान – (१) हिन्दी निबंध संग्रह – झरोखा को हिन्दी साहित्य अकादमी के द्वारा 2010 का पुरस्कार (२) सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन में तत्कालीन विज्ञान-टेक्नोलॉजी मंत्री श्री बच्ची सिंह राऊत के द्वारा सम्मान। संपर्क- पंकज त्रिवेदी "ॐ", गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फ़ीट रोड, सुरेन्द्र नगर, गुजरात - 363002 मोबाईल : 096625-14007 vishwagatha@gmail.com