कविता

रक्तबीज कोरोना

कोविड-19 के कारण सम्पूर्ण देश हुआ लॉकडाउन।
खौफ का साया मंड़रा रहा पूरा विश्व है परेशान।
कोरोना महामारी से संक्रमित हुए भारतवासी है,
बढ़ रहा कोरोना का प्रकोप चारों ओर उदासी है।
विश्व-व्यापी महामारी से अब कैसे मिले निदान,
रक्तबीज कोरोना से खतरे में है हम सबकी जान।
कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर हर जन घबराता,
जो भी सम्पर्क में आता, उसे कोरोना हो जाता।
देश के हालात बिगड़ चुके हैं क्या होगा समाधान,
कोरोना का कहर थम नही रहा संकट में हिन्दुस्तान।
पुलिस, डॉक्टर, नर्स सब अपना फर्ज निभा रहे,
घर से बाहर न निकलो यही सबको समझा रहे।
कुछ बेवजह ही अपने घर से निकल रहे इंसान,
40 दिन तक घर पर रहना दिन कैसे कटे भगवान।
रक्तबीज बना कोरोना, चपेट में हैं पूरा संसार,
खुलकर साँस लेना भी अब तो हुआ दुश्वार।
फिर से जन्म लो माँ दुर्गा महामारी से मुक्त कराओ,
रक्तबीज बना कोरोना राक्षस से, हम सबको बचाओ।
रक्तबीज का बध करने, माँ काली दुर्गा आयेंगी,
कोरोना महामारी से पूरे विश्व को मुक्ति दिलायेंगी।
— सुमन अग्रवाल “सागरिका”

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा