गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 07/12/2020 ग़ज़ल खुदा ने की है साजिश मेरी हस्ती मिटाने की दुआ नाकाम हों जैसे यहां सारे जमाने की। हंसते-हंसते ही हम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 05/11/2020 ग़ज़ल मर्यादा में प्रेम निभाना ये मुझे सिखाया है तुमने प्रेम है पूजा प्रेम तपस्या ये मुझे बताया है तुमने । Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 06/10/2020 ग़ज़ल मैं स्याही की बूंद हूं जिसने जैसा चाहा लिखा मुझे मैं क्या हूं कोई ना जाने अपने मन सा गढा़ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 20/09/2020 ग़ज़ल मुझे न दौलत की जुस्तजू है न तख्त ओ ताज की आरजू है फकीर हूं मैं फकीर दिल है यूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 20/09/2020 ग़ज़ल ये कुदरत का कहर है या किस्मत का असर है कोई दीवार न छत है लोग कहते हैं ये घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/08/202027/08/2020 ग़ज़ल तू है आसमा और मैं हूं ज़मीं तेरा मेरा मिलन होना मुश्किल है। मैं सागर किनारे पड़ी रेत हूं मेरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 11/07/2020 ग़ज़ल सावन की बरसातों में प्रेम का अंकुर फूट न जाए एक बेचैनी सी है मन में धैर्य का धागा टूट Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 11/06/202001/07/2020 ग़ज़ल ये सोंच के दर पे आए थे अपनों से बगावत ठीक नहीं हंस भी ना सकूं रो भी न सकूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 10/06/2020 ग़ज़ल ये सोंच के दर पे आए थे अपनों से बगावत ठीक नहीं हंस भी ना सकूं रो भी न सकूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 05/05/2020 ग़ज़ल मैं हूं मुजरिम तो मुझे हक से सजाएँ दे दो वर्ना बाहों मे अपनी मुझको पनाहें दे दो। बाद मरने Read More