ताजी कुंडलिया
कृष्ण-सुदामा की तरह, मिले नहीं अब मीत। झूठ-मूठ बस स्वार्थवश, करते दिखते प्रीत। करते दिखते प्रीत, जेब जो होती भारी।
Read Moreकृष्ण-सुदामा की तरह, मिले नहीं अब मीत। झूठ-मूठ बस स्वार्थवश, करते दिखते प्रीत। करते दिखते प्रीत, जेब जो होती भारी।
Read Moreसुनीता के फोन रिसीव करते ही उसकी सहेली नेहा की शिकायती आवाज सुनाई दी,”क्या सूमी!कहाँ थी यार?कितनी बार कॉल किया,अब जाकर
Read Moreलमो-लमो करने लगा, पूरा भारत देश। लेकिन वो आते नहीं, जाकर बसे विदेश। जाकर बसे विदेश, न जाने डर किसका।
Read Moreअपने यू.पी. की पुलिस, बहुतै तेज तरार। चोरों की खटिया खड़ी, खोने लगा करार। खोने लगा करार, चुराना भैँसे भूले।
Read Moreदोहा- चहुँ दिश फैला जिस तरह, अब फैशन का राज। उसको वैसा ही लिखूँ, मन में आया आज॥ लेकिन डरता
Read Moreफर्जी डिग्री ले किया, काम बड़ा ही खास। पता हकीकत अब चली, हुआ जो पर्दाफाश। हुआ जो पर्दाफाश, ‘आप’ का
Read Moreलालू औ’ नीतीश कर, गठबंधन स्वीकार। लगता ऐसा चाहते, करे विकास बिहार। करे विकास बिहार, चले या दाँव चुनावी।
Read Moreकहता पीपल आम से, चुपके-चुपके बात। आज दिवस है कौन सा, जो है लगी जमात। जो है लगी जमात, शुरू
Read Moreहमला जो छुपकर किए, सभी बड़े हैरान। मौत हुई है बीस की, घायल और जवान। घायल और जवान, उग्रवादी क्या
Read Moreगरमी से बेहाल हैं, पशु-पंक्षी-इंसान। तड़प रहे दिन-रात अब, सूझे नहीं निदान। सूझे नहीं निदान, हाल लाइट के ऐसे। झलक
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