‘क़लम आज उनकी जय बोल’- अंतस् की ६२ वीं संगोष्ठी ‘दिनकर’ को समर्पित
जिन कवियों ने हिंदी कविता को छायावाद की कुहेलिका से बाहर निकाल कर उसे प्रसन्न आलोक के देश में पहुँचाया,
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Read Moreअंतस् की 61वीं गोष्ठी अत्युत्तम रही| संस्था की अध्यक्षा डॉ. पूनम माटिया के संयोजन-संचालन में 27 अगस्त को अखिल भारतीय
Read Moreकहानी, कविता, ग़ज़ल, नाटक, दोहावली, गीत, लेख, निबंध को एक सुदृढ़ धरातल प्रदान कर उसे प्रचुर समृद्धि के व्योम पर
Read Moreअंतस् की 58वीं काव्य-गोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रसिद्ध कवि रसिक गुप्ता ने अंतस् के प्रयासों की सराहना करते
Read Moreमस्ती के माहौल में छलकीं ख़ुशियाँ थीं चहुँ ओर, रंग लगा एक-दूजे को, भागम-भाग थी हर छोर। चरण-स्पर्श को झुकी
Read Moreवो चश्मा ही और था शायद जो गाँव की कच्ची-पक्की, संकरी गलियों में बसे घरों के भीतर बसे इंसानों और
Read Moreविभिन्न विधाओं और रसों का आस्वादन किया उपस्थित कविवृन्द और सुधि श्रोताओं ने अंतस् की उत्कृष्ट 54 वीं अविरल रूप
Read Moreकबीरा खड़ा बाज़ार में, माँगे सबकी ख़ैरना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैरचिर-परिचित, आज भी प्रासंगिक कबीर दास के
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