बाल कविता : बच्चे पढ़ते नहीं किताब
सोच सोच बचपन की बातें, दादा को लग रहा खराब। कहते हैं वह, जब छोटे थे, बाल पुस्तकें पढ़ते थे।
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Read Moreगरमी की छुट्टी का मतलब, नाना नानी के घर जाना। बिना किसी आवेदन के ही, ऊधम का परमिट मिल जाना।
Read Moreचलाना एक सफल अभियान, बचा लेना पेड़ों के प्राण । दिनों दिन कटते जाते पेड़ , सूखती जाती हरियाली। नदी
Read Moreखिड़की से झांकी है,छत पर मंडराई है। धूप अभी शैशव से,बचपन तक आई है। अभी नहीं फ़ूले हैं सूरज
Read Moreचारों अभी भी पक्के दोस्त थे।बचपन से ही सहपाठी रहें हैं ,इससे स्टेटस की भिन्नता के बावजूद मित्रता बरकरार थी।
Read Moreसुबह सुबह से बिटिया रानी, गाल फुलाये बैठी है उसे चाहिए लाल गुलाबी, पीले रंग की पिचकारीं। गए साल कीं
Read Moreशीत लहर ने कमरे में भी, ठंडक का मीठा रस घोला। कानों का कन टोपा बोला। गरम चाय के दौर
Read Moreमोहनलालजी लड्डू बाँट रहे हैं। “क्या बात है मोहन भैया किस ख़ुशी में लड्डू बँट रहे है,कोई विशेष बात है
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