डर है कि कहीं झोलाछाप मानकर ……..
हर किसी को जीवन में स्वांग करना होता है.हमने भी जब शुरू-शुरू में लिखना प्रारम्भ किया तो कंधे पर झोला
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Read Moreआखिर उनके स्वर फिर फूट पड़े,विपक्ष में रहकर ही स्वर फूटते हैं और सत्ता में रहकर सुर बनते हैं।एक सर्वे
Read Moreअब्राहम लिंकन ने प्रजातंत्र को परिभाषित करते हुए कहा था कि लोकतंत्र जनता का ,जनता के लिए और जनता द्वारा
Read Moreसमाचार है कि ट्रेनों में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेल्वे ने छः सुझाव दिए हैं।इनमें से एक महत्वपूर्ण
Read Moreकहावत है कि “ खोदा पहाड़ निकली चुहिया”,लेकिन कभी-कभी यह कहावत भी गलत साबित हो जाती है।देखा गया है कि
Read Moreअभी तक तो हम सभी यह मानते आये हैं कि जो लोग डरपोक होते हैं, कमजोर दिल वाले होते हैं
Read Moreप्रकृति ने दिया है भरपूर कभी किया नहीं संचित जितना जो ग्रहण कर सके दिया बिना भेदभाव किये बांट देती
Read Moreदेखिये,पंजाब पुलिस कितनी समझदार है कि जब आम जन पुलिस को बार-बार शिकायत कर रही है कि 100 नम्बर मिलता
Read Moreखिलाड़ी उस समय हँसी का पात्र बन जाता है जब वह आत्मघाती गोल कर अपनी ही टीम के लिए पराजय
Read Moreबिना शब्दों के जीवन ही व्यर्थ है लेकिन शब्दों का प्रयोग कब,कैसे और किस तरह किया जाए,यह महत्वपूर्ण है।शब्द जंजाल
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