गीतिका/ग़ज़ल प्रज्ञा लोकेश मिश्रा 30/04/2018 ग़ज़ल : भगवान क्यों है! किया उसने मुझपे ये एहसान क्यों है? यही सोचकर दिल परेशान क्यों है? खिली रहती थी पहले होंठों पे उसके Read More