गीत – अब मत बांटो रे
टुकड़ों-टुकड़ों में धरती को अब मत बांटो रे। बांट लिया घर, खेत, बाग, मत अम्बर बांटो रे।। गगन चूमते लम्बे
Read Moreटुकड़ों-टुकड़ों में धरती को अब मत बांटो रे। बांट लिया घर, खेत, बाग, मत अम्बर बांटो रे।। गगन चूमते लम्बे
Read Moreउजले-उजले लोगों के मन कितने मैले-मैले। रूप सभी का एक मगर अलग-अलग हैं थैले।। स्वार्थ, वाद उर भीतर बैठा, मन
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