क्षणिका
कितने अभिमन्यु भेंट चढ़ेंगे कितनी माँयें रूदन करेंगीं ।। कब तक रक्ततलाई होंगे कितने वंशज युद्ध करेंगे।। एक निर्णायक युद्ध
Read More“देख ..प्रपोज बाद में करना। पहले प्रेम की परिभाषा बता।” इठलाते हुये वह बोली । “फिक्र, ख्याल हर रिश्ते में
Read Moreबिखरी,बिखरी सी थी अब स्वयं में सिमटने लगी हूं मैं सलीके की जिंदगी से अब थोड़ी बेपरवाह होने लगी हूं
Read Moreजश्न के नशे में तो कोई जाम के नशे में झूमते नाचते ,हवा में नोटों की गड्डियां उडाते बाराती ।
Read Moreउसने कहा “तुम बहुत सुन्दर हो” झूठी तारीफ थी लेकिन उसे सच्ची लगी। इस तरह वह हर बार उसकी तारीफ करता
Read Moreन इजहार न गिले शिकवे प्रेम में आओ कुछ समय मौन में जीते है … मै सोचूं तुम लिखो एक
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