लघुकथा

लघुकथा – तारीफों का झाड़

उसने कहा “तुम बहुत सुन्दर हो” झूठी तारीफ थी लेकिन उसे सच्ची लगी। इस तरह वह हर बार उसकी तारीफ करता आखिर तारीफों का पुल स्त्री के मन तक जाने का मार्ग बन चुका था ।
” मैं तुमसे प्यार करती हूँ  ” यह शब्द सुनते ही पुरूष के चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल गई…अब आसान था स्त्री को हर तरह से पाना ।
तारीफ भी कब तक करता पुरूष  एक दिन उसने तारीफ करना बन्द कर दिया और उसने प्यार करना।  और इस तरह झूठे प्यार का अन्त हुआ।
— रजनी चतुर्वेदी (बिलगैयां)

रजनी बिलगैयाँ

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट कामर्स, गृहणी पति व्यवसायी है, तीन बेटियां एक बेटा, निवास : बीना, जिला सागर