कविता

आस्तीन के साँप

आजकल के इन साँपो को
पहचानना बड़ा मुश्किल है,
कौन आस्तीन का साँप है
कब डस लेगा
जानना और मुश्किल है।
वैसे तो आजकल
हमारे इर्द गिर्द
ऐसे जहरीले साँपों का
हर समय डेरा है,
हमारा ही शुभचिंतक बन
कौन कब डस लेगा
अहसास कर पाने में
सब विफल हैं,
क्योंकि ऐसे आस्तीन के
बहुतेरे साँप हमारे तो
बड़े शुभचिंतक हैं।
किसको कैसे पहचानें
प्रश्न कठिन है,
डसे जाने के बाद
समझ में आने का ही
क्या मतलब है?
देखने में भोले भाले
आपके लिए जान की बाजी भी
लगाने को तैयार हैं,
मौके की तलाश में
वो कुछ भी
करने को तैयार हैं।
बस एक मौके का ही
उन्हें इंतज़ार है,
इधर मौका मिला नहीं कि
बस ! डसकर फुर्र हो जायेंगे
कोई नहीं एतबार है।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921