कविता

चिपकू मेहमान

वैसे तो आजकल के
लोगों के पास समयाभाव है,
फिर भी चिपकू मेहमानों के पास
शर्म का अभाव है।
काम धाम करेंगे नहीं
बस !खाने को मिलता रहे
इसी जुगत में रहते हैं,
नाश्ते खाने के समय
सबसे पहले ही आकर डटे हैं।
रोज हमें बताते हैं
आज जाना तो चाहता था
यही समझाते हैं,
आपको तो पता ही है
मेरे पास समय बिल्कुल नहीं है,
फिर सोचता हूँ कि
आ ही गया हूँ तो
एकाध महीना रह ही लूँ।
क्या करूँ?आप लोगों ने
इतना प्यार जो दिया है,
कि आपको छोड़कर
आपका दिल तोड़कर
जाने का मन भी तो
नहीं कर रहा है।
वैसे भी आप घबड़ाइये नहीं
मैं कोई मेहमान तो नहीं,
बस सुबह शाम नाश्ते खाने के सिवा
कुछ नहीं चाहिए,
हाँ बस ! इतना भर ख्याल रखें
सोने में कोई खलल नहीं चाहिए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921