दोहे
1.सप्ताह का दिन रविवार,काम होते है हज़ार। घर परिवार में गुज़ार, खुशियां मिले अपार।। 2.मौज सभी मिलकर करो,आया फिर रविवार।
Read Moreविषैली हवा चली मेरे शहर में। दम तोड़ रही पीढ़ी मेरे शहर में।। कारखानो की चिमनियाँ देखिये। जहर उगलने लगी
Read More1. मर रहे है भूमिपुत्र,कुछ तो ख्याल करे। दे इन्हें मुक्त बीज,व्यर्थ न सवाल करे।। नहरें नही है जहाँ,वहां भी
Read Moreसच्चे देश सेवकों की अब कमी लगती है। सुभाष भगत आज़ाद की अब कमी लगती है।। चहुँ ओर हिंसा ने
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