अंतिम पड़ाव के मुसाफिर
आज का भटका हुआ मानव यही सोंच रहा है कि कलयुग में फिर कोई अवतार होगा वही दुनियां के सभी
Read Moreआज का भटका हुआ मानव यही सोंच रहा है कि कलयुग में फिर कोई अवतार होगा वही दुनियां के सभी
Read Moreनए वर्ष की नयी सुबह से, नयी नयी उमंग मिले।सूरज की पहली किरनों से, नयी नयी तरंग मिले।। कुबेर की
Read Moreभूले नही जो भुलाने चले थेपते सारे जिनके जलाने चले थेकई रातों से सोये अरमां नही हैंजिनको शब में सुलाने
Read Moreआज ऐसा लग रहा है मानों पूरी धरती का श्रृंगार बारूदी अलंकारों से किया जा रहा है दुनियां के हर
Read Moreजब आपके अंदर भक्ति का भाव नही है, एक सरल स्वभाव नही है, प्रकृति से लगाव नही है और किसी
Read Moreनजर आखिरी आज उठ जाने देआज के बाद कोई भरोसा नहीजाम ये आखिरी अब उतर जाने देआज के बाद कोई
Read Moreवर्तमान समय में जनता क्यों करने लगी आन्दोलन क्या कोई बडे बदलाव अथवा उलटफेर के मिल रहे हैं संकेत एक
Read Moreआँखों ही आँखों में रात देख लीकैसे बदल जाती है बात देख ली सामने से सामना होता नही है अबकैसे
Read Moreबेशर्मी अब ज़ीनत बन गयी, असमत तार तार हुईइस बेढंगी दुनियाँ में देखो , हया यहां बेजार हुई दफ़न हो
Read Moreतुझसे बेहतर यहां शबाब, ढल के चले गयेचाहे अर्श से पूंछ लो, चाहे फर्श से पूंछ लो। जितनी तेरी नजर
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