कैसा दौर आया है-ताजा मुक्तक
यह कैसा दौर आया है यहाँ निर्दोष मरते हैं जहाँ देखो उधर ही रोज बम गोले बरसते हैं धरा भी
Read Moreयह कैसा दौर आया है यहाँ निर्दोष मरते हैं जहाँ देखो उधर ही रोज बम गोले बरसते हैं धरा भी
Read More1-मनुआं में है गहन अंधेरा मंदिर में हैं मनमीत पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ मिला न अगम अतीत मिले न
Read More1-कितनी सुहानी ईद यह, चहु ओर ही गुलजार है प्रकृति दुल्हन मुस्कराई, मेघों का यह इकरार है सूरज भी कुछ
Read Moreआज फिर स्थानीय संस्था के वयोवृद्ध सम्मानित व्यक्ति सत्यदेव ने विभा को फोन किया- ”महोदया, आप एक बार फिर सोच लीजिए।
Read More1-जो करते वायदे झूठे सदा बदनाम होते जो उसे ही पूजती दुनिया कि आसाराम होते जो गुनाहों के देवों को
Read More1-सुरा अरु सुंदरी का यह अजब कैसा चलन देखो नहीं कुछ सोच पाते हैं यह कैसा है व्यसन देखो थिरकतीं
Read More1 -कैसी बेढंग ज़िंदगी की कहानी मृत्यु रंगीन । 2 – टिका लूं पैर ठोस धरातल पे तब तो उडूं |
Read More1 – जो भी मिल जाता है तकदीर मान लेती हैं रूठे नसीब को भी ये तदवीर मान लेती हैं
Read More“नमस्ते लक्ष्मी ! किधर जा रही हो ?” “बस संस्था के काम से जा रही हूँ लक्ष्मी ने विद्या से
Read Moreपंडित रामू काका के तीन संतानें थीं । एक पुत्र दो पुत्रियां । छोटे काश्तकार और स्वतंत्रता आंदोलन में जेल
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