गीतिका/ग़ज़ल राम बाबू रस्तोगी 20/01/2015 ग़ज़ल कौन मेरे टूटते ख्वाबों की भरपाई करे । दोस्तों के बीच दुश्मन की शनासाई करे । कल भी मुझपे तंज Read More
गीतिका/ग़ज़ल राम बाबू रस्तोगी 19/01/201518/01/2015 ग़ज़ल घटा, पानी, हवा, बादल, नदी, सावन समझती है जमीं जिससे जुड़ती है उसी का मन समझती है वो दरजी के Read More
गीतिका/ग़ज़ल राम बाबू रस्तोगी 18/01/2015 ग़ज़ल आग , पानी, आसमाँ, मिट्टी, हवाएं ले गया । वो मेरे जीने की सब संभावनाएं ले गया । बारिशें, बादल, Read More