गज़ल
होरी उमर भर कर्ज़ से कमर तोड़ लेता हैंबनिया एक शून्य ‘औ’ बढ़ाकर जोड़ लेता हैं गिरवी रखें हैं खेत
Read Moreजगह-जगह छिपे हुये यहां आदमखोर हैऐसे लोगों का आजकल देखो जोर हैं बंद है सुविधा यहां काली तिजोरियों मेंऔर मची
Read Moreकुर्सी मिलते ही हुआ, नेता लापरवाहरहता है बनकर सदा, देखो वो शहंशाह कुर्सी पर ही बैठकर, नेता दे संदेशखुशहाली घर-घर
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