ग़ज़ल
इश्क़ में ख़ुद को मिटाने के लिए काफी हूँमैं अकेला ही ज़माने के लिए काफी हूँ इश्क़ तो है सेज
Read Moreदीप राह दिखाता दीप सदा ही, रखना द्वारे पार ही।भूल न जाये सुनो बटोही, अभी किसी का द्वार ही।।आशा के
Read Moreलिए तिरंगा ही बढ़ें, फहराना है आज।कभी नहीं होगा यहाँ, विदेशियों का राज।। शान तिरंगा देश की, सदा बढ़ाता मान।नमन
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