शहीद दिवस (23 मार्च) पर कविता
धरती माँ के लाल भगत थे ,वीर अमर बलिदानी थे । आजादी के दीवाने थे ,स्वतंत्रता सेनानी थे । हँसते
Read Moreधरती माँ के लाल भगत थे ,वीर अमर बलिदानी थे । आजादी के दीवाने थे ,स्वतंत्रता सेनानी थे । हँसते
Read Moreपरउपकारी जो नर होते, वही धरा सुख पाते। सदा यही कर्तव्य मनुज का, सभी धर्म बतलाते। तरुवर फल से लदे
Read Moreअभिनन्दन की अभी रिहाई ,पाक करो मंजूर । कड़ा कदम कहीं उठा न लें हम ,होकर फिर मजबूर । बिना
Read Moreअंध भाव व्यापक समाज में ,जीभ है चाटुकारी में । झूठ ,दिखावा औ फरेब ही ,बस है दुनियादारी में ।
Read Moreप्रेम पुष्प जब खिला हृदय में उपजे मधुर भाव मन में मन मयूर जब लगा झूमने , लहरें उठती तब
Read Moreबढ़े चलो हे वीर सिपाही व्यर्थ न समय गवांना है । क्यों उदास तुम बैठ गए हो समय लौट कब
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