ग़ज़ल
जिंदगी ले मायने होने लगी हर इबादत बंदगी होने लगी। गम बढा चुप ही रहे गाते हुये मौन से संजीदगी
Read Moreअब तो टीवी बिना जीना दुश्बार हैं सामने रात को टीवी आगे परिवार हैं नौकर शादी में भी बीबी माँग
Read Moreआज़ादी की जंग जानो न सुगम थी आसानी से आनी हैं इसमें छुपी हमारी बीर बिरागनाओ की गाथा अदभुत सुननी
Read Moreअभी कुछ साल पहले मेरी नन्द की बेटी की शादी फिरोजपुर जाकर करनी पड़ी |नन्द-नन्दोई इंतजाम के लिये पहले चले
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