गज़ल
बनी अब जिंदगी हो भार तय है अदालत में हमारी हार तय है| लगा ये आदते में सोच फ़ानी मिला
Read Moreरीना को नौकरी करते पन्द्रह साल हो गये थे, न कोई तरक्की मिली ना ही तनखाह बढ़ी| आखिर उसने मन
Read Moreचाहतें पूरी हों तो इसके लिए मानने वाला भी अच्छा चाहिए कौन सा सबको बगीचा चाहिए सर छुपाने को तरीका
Read More★ दो दोहा मुक्तक ★ १ जरा बदल माँ तकदीर, नित पूजे तश्बीर चिन्ता हटा मन अधीर ,काम में कर्मबीर.
Read Moreधनदेबी क्षोभ की प्रतिमा बनी एक औरत पेड़ के नीचे लाठी पकड़ी चुपचाप बैठी थी| अनजान दो आंखे उसे कुछ
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