फिजूलखर्ची
कुछ दिन के लिये पिताजी गांव से भाई के पास शहर में रहने आये| पिता ने सुबह उठते ही न्यूज
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Read Moreसबकी अपनी मन की अलग मुरादें हैं, सबकी खाली झोली भर दे साल नया चलते रहना ही जीवन तू रुकना
Read Moreएक थका-माँदा शिल्पकार लंबी यात्रा के बाद एक छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम के लिये बैठ गया। अचानक उसको सामने
Read Moreक्यों काटे तूने पेड़ लकडहारे ये पेड़ तो हर मन को प्यारे।। वृक्ष तो होता धरा का भूषण है इससे
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