सार/ललित छंद
१. टिक टिक करती घड़ियाँ बोलीं, साथ समय के चलना सोने से सो जाते अवसर, मिलता कोई हल ना नींद
Read More१. टिक टिक करती घड़ियाँ बोलीं, साथ समय के चलना सोने से सो जाते अवसर, मिलता कोई हल ना नींद
Read Moreआज मैं…. आज मैं देवकी का दर्द यशोदा का वात्सल्य राधिके का प्रेम रुक्मिणी का खास हूँ आज मै वासुदेव
Read Moreऑपरेशन थियेटर में कल्याणी देवी की बहु गंभीर अवस्था में जा चुकी थी| डेलिवरी के लिए सबकुछ सामान्य था कि
Read More1. आन बान शान से जवान तुम बढ़े चलो विघ्न से डरो नहीं हिमाद्रि पर चढ़े चलो वीर तुम तिरंग
Read Moreमैं बेचारा बेबस शिशु सबके हाथों की कठपुतली मैं वह करुं जो सब चाहें कोई न समझे मैं क्या चाहूँ।
Read Moreआसमान की नई कहानी धरती पर ले आतीं बूँदें तपी ग्रीष्म में भाप बनीं वो फिर बादल बन जाती बूँदें
Read Moreवह नन्हा सा बालक उन्मुक्त आकाश में उड़ान का स्वप्न लिए चुनता था दूध की पन्नियाँ बीनता था टूटी काँच
Read Moreआलोचना या समालोचना किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्ततता का विवेचन करने
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