Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

गीत/नवगीत

गीत “तुकबन्दी से होता गायन”

गीत “तुकबन्दी से होता गायन” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—वाणी से खिलता है उपवनस्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन—शब्दों को मन में

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बाल कविता

“कागा जैसा मत बन जाना”

बालकविता “कागा जैसा मत बन जाना” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)ॉ—बारिश से भीगा है उपवनहरा हो गया धरती का तन—कोयल डाली-डाली डोलेलेकिन

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बाल कविता

बालकविता “आमों की बहार आई है”

बालकविता “आमों की बहार आई है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—आम पेड़ पर लटक रहे हैं।पक जाने पर टपक रहे हैं।।—हरे वही

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गीत/नवगीत

गीत “किसमें कितना खोट भरा”

गीत “किसमें कितना खोट भरा” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—हर पत्थर हीरा बन जाता, जब किस्मत नायाब हो,मोती-माणिक पत्थर लगता, उतर

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गीत/नवगीत

दोहागीत “जनता है मजबूर”

दोहागीत “जनता है मजबूर” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—खुद को वाद-विवाद से, रखना हरदम दूर।मरे हुए को मारना, दुनिया का दस्तूर।।—आडम्बर को

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गीत/नवगीत

गीत “निम्बौरी आयीं है अब नीम पर”

गीत “निम्बौरी आयीं है अब नीम पर” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—पहले छाया बौर, निम्बौरी अब आयीं है नीम पर।शाखाओं पर

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