दोहे
बतलाते खुद को सभी, दुनिया में नाचीज।लेकिन बिन मतलब नहीं, होते लोग अजीज।। पहनो चाहे कण्ठ में, कितने ही ताबीज।लेकिन
Read Moreनज़ारों में भरा ग़म है, बहारों में नहीं दम है,फिजाएँ भी बहुत नम हैं, सितारों में भरा तम हैहसीं दुनिया
Read Moreखेतों में हरियाली लेकर आया है चौमास! जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!! —सन-सन, सन-सन चलती पुरुवा, जिउरा लेत
Read Moreगीत “तुकबन्दी से होता गायन” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—वाणी से खिलता है उपवनस्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन—शब्दों को मन में
Read Moreबालकविता “कागा जैसा मत बन जाना” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)ॉ—बारिश से भीगा है उपवनहरा हो गया धरती का तन—कोयल डाली-डाली डोलेलेकिन
Read Moreबालकविता “आमों की बहार आई है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—आम पेड़ पर लटक रहे हैं।पक जाने पर टपक रहे हैं।।—हरे वही
Read Moreगीत “किसमें कितना खोट भरा” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—हर पत्थर हीरा बन जाता, जब किस्मत नायाब हो,मोती-माणिक पत्थर लगता, उतर
Read Moreदोहागीत “जनता है मजबूर” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—खुद को वाद-विवाद से, रखना हरदम दूर।मरे हुए को मारना, दुनिया का दस्तूर।।—आडम्बर को
Read Moreग़ज़ल “टूटी पतवार लिए बैठा हूँ” —गम का अम्बार लिए बैठा हूँलुटा दरबार लिए बैठा हूँ—नाव अब पार लगेगी कैसेटूटी
Read Moreगीत “निम्बौरी आयीं है अब नीम पर” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—पहले छाया बौर, निम्बौरी अब आयीं है नीम पर।शाखाओं पर
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