दोहे “परिवेश”
परिवेश पर विविध दोहे — उच्चारण सुधरा नहीं, बना नहीं परिवेश। अँगरेजी के जाल में, जकड़ा सारा देश।१। — अपना
Read Moreपरिवेश पर विविध दोहे — उच्चारण सुधरा नहीं, बना नहीं परिवेश। अँगरेजी के जाल में, जकड़ा सारा देश।१। — अपना
Read Moreसभ्यता, शालीनता के गाँव में, खो गया जाने कहाँ है आचरण? कर्णधारों की कुटिलता देखकर, देश का दूषित हुआ वातावरण।
Read Moreमीत बेशक बनाओ बहुत से मगर, मित्रता में शराफत की आदत रहे। स्वार्थ आये नहीं रास्ते में कहीं, नेक-नीयत हमेशा
Read Moreसहारनपुर निवासी डॉ.आर.पी.सारस्वत 2016 में मेरे द्वारा आयोजित “राष्ट्रीय दोहाकार समागम“ में खटीमा पधारे थे। मेरी धारणा थी कि ये
Read More📷 बैठ मजे से मेरी छत पर, दाना-दुनका खाती हो! उछल-कूद करती रहती हो, सबके मन को भाती हो!! 📷
Read Moreजिन्दगी साथ निभाओ, तो कोई बात बने राम सा खुद को बनाओ, तो कोई बात बने — एक दिन दीप
Read Moreकुलदीपक की सहचरी, घर का है आधार। बहुओं को भी दीजिए, बेटी जैसा प्यार।। — बाबुल का घर छोड़कर, जब
Read Moreबेटी से आबाद हैं, सबके घर-परिवार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। — चाहे कोई वार हो, कोई हो तारीख।
Read Moreगौरय्या का नीड़, चील-कौओं ने हथियाया है हलो-हाय का पाठ हमारे बच्चों को सिखलाया है — जाल बिछाया अपना छीनी
Read Moreसज्जनता का हो गया, दिन में सूरज अस्त। शठ करते हठयोग को, होकर कुण्ठाग्रस्त।। — नित्य-नियम से था दिया, जिनको
Read More