“मचा है चारों ओर धमाल”
उड़ते रंग अबीर-गुलाल! खेलते होली मोहनलाल!! कोई गावे मस्त रागनी, कोई ढोल बजावे, मस्ती में भर करके राधा अपना नाच
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Read Moreबौराई गेहूँ की काया, फिर से अपने खेत में। सरसों ने पीताम्बर पाया, फिर से अपने खेत में।। हरे-भरे हैं
Read Moreपवन बसन्ती लुप्त हो गई, मौसम ने ली है अँगड़ाई। गेहूँ की बालियाँ सुखाने, पछुआ पश्चिम से है आई।। पर्वत
Read Moreहरकत से नापाक की, बिगड़ रहा परिवेश। हमले सेना शिविर पर, झेल रहा है देश।। — करो-मरो की होड़ में,
Read Moreअब पढ़ाई और लिखाई छोड़ ना। सीख ले अब पत्थरों को तोड़ना।। काम मिलता ही नहीं है, शिक्षितों के वास्ते,
Read Moreजो मेरे मन को भायेगा, उस पर मैं कलम चलाऊँगा। दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं, आगे को बढ़ता जाऊँगा।। मैं कभी
Read Moreजो लगता था कभी पराया, जाने कब मनमीत हो गया। पतझड़ में जो लिखा तराना, वो वासन्ती गीत हो गया।।
Read Moreकितने हसीन फूल, खिले हैं पलाश में फिर भी भटक रहे हैं, चमन की तलाश में पश्चिम की गर्म आँधियाँ,
Read Moreदेता है ऋतुराज निमन्त्रण, तन-मन का शृंगार करो। पतझड़ की मारी बगिया में, फिर से नवल निखार भरो।। नये पंख
Read Moreतीखी-तीखी और चर्परी। हरी मिर्च थाली में पसरी।। तोते इसे प्यार से खाते। मिर्च देखकर खुश हो जाते।। सब्ज़ी का
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