गीत “प्यार के परिवेश की सूखी धरा”
होश गुम हैं, जोश है मन में भरा।प्यार के परिवेश की सूखी धरा।।—चल पड़ा है दौर कैसा, हर बशर मगरूर
Read Moreहोश गुम हैं, जोश है मन में भरा।प्यार के परिवेश की सूखी धरा।।—चल पड़ा है दौर कैसा, हर बशर मगरूर
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर।ठेले पर बिकते हैं बेर।।—रहते हैं काँटों के संग।इनके हैं मनमोहक रंग।।—जो हरियल हैं, वे कच्चे
Read Moreजो मेरे मन को भायेगा,उस पर मैं कलम चलाऊँगा।दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,आगे को बढ़ता जाऊँगा।।—मैं कभी वक्र होकर घूमूँ,हो जाऊँ
Read Moreआई है शिव की शिवरात, हर-हर, बम-बम गाओ।लेकर बेलपत्र को साथ, चलो प्रसाद चढ़ाओ।।—शंकर शमन करेंगे मन को,वो ही वर
Read Moreआग को सीने में जलने दीजिएजमुन से गंगा निकलने दीजिए—अपनी अस्मत को बचाने के लिएफूल को काँटों में पलने दीजिए—अज़नबी
Read Moreतानाशाही से लुटी, बड़ी-बड़ी जागीर।जनमत के आगे नहीं, टिकती है शमशीर।१।—सुलभ सभी कुछ है यहाँ, दुर्लभ बिन तदवीर।कामचोर ही खोजते,
Read Moreमास फरवरी आ गया, बढ़ा सूर्य का ताप।उपवन में कलियाँ-सुमन, करते क्रिया-कलाप।।—पिघल रहे हैं ग्लेशियर, दरक रहे हैं शैल।नजर न
Read Moreसबके मन को भाया बसन्त।आया बसन्त-आया बसन्त।। उतरी हरियाली उपवन में,आ गईं बहारें मधुवन में,गुलशन में कलियाँ चहक उठीं,पुष्पित बगिया
Read Moreप्रीत-रीत का जब कभी, होता है अहसास।मन की बंजर धरा पर, तब उग आती घास।१।—कुंकुम बिन्दी-मेंहदी, काले-काले बाल।कनक-छरी सी कामिनी,
Read Moreमाता के वरदान से, होता व्यक्ति महान।कविता होती साधना, इतना लेना जान।।—कविता का लघु रूप हैं, शेर-दोहरे छन्द।सन्त-सूफियों ने किये,
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