ग़ज़ल “कठिन बुढ़ापा बीमारी है”
हिम्मत अभी नहीं हारी हैजंग ज़िन्दगी की जारी है—मोह पाश में बँधा हुआ हूँये ही तो दुनियादारी है—ज्वाला शान्त हो
Read Moreहिम्मत अभी नहीं हारी हैजंग ज़िन्दगी की जारी है—मोह पाश में बँधा हुआ हूँये ही तो दुनियादारी है—ज्वाला शान्त हो
Read Moreजो काम नही कर पायें दूसरे,वो जोकर कर जाये।सरकस मे जोकर ही,दर्शक-गण को खूब रिझाये।—नाक नुकीली, चड्ढी ढीली,लम्बी टोपी पहने,उछल-कूद
Read Moreअपने छोटे से जीवन मेंकितने सपने देखे मन में—इठलाना-बलखाना सीखाहँसना और हँसाना सीखासखियों के संग झूला-झूलामैंने इस प्यारे मधुबन मेंकितने
Read Moreमैं अपनी मम्मी-पापा के,नयनों का हूँ नन्हा-तारा।मुझको लाकर देते हैं वो,रंग-बिरंगा सा गुब्बारा।।—मुझे कार में बैठाकर,वो रोज घुमाने जाते हैं।पापा
Read More“हर सिक्के के दो पहलू हैं”—हर सिक्के के दो पहलू हैं,उलट-पलटकर देख ज़रा।बिन परखे क्या पता चलेगा,किसमें कितना खोट भरा।।—हर
Read Moreजननी-जन्मभूमि को अपनी,बच्चों कभी नहीं बिसराना।ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा,साधारण जीवन अपनाना।।—रोज नियम से आप सींचना,अपनी बगिया की फुलवारी।मत-मजहब के गुलदस्ते
Read Moreकोरोना नेहमारे चारों ओरजाल बुन लिया है—जाल!हाँ जी!जाल तो जाल ही होता हैचाहे वह मकड़ी का जाल होया बहेलिए का
Read Moreघूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनीकण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।—ताल
Read Moreकहना है ये दरबारों सेपेट नहीं भरता नारों से—सूरज-चन्दा में उजास हैकाम नहीं चलता तारों से—आम आदमी ऊब गया हैआज
Read Moreरिमझिम-रिमझिम पड़ीं फुहारे।बारिश आई अपने द्वारे।।—तन-मन में थी भरी पिपासा,धरती का था आँचल प्यासा,झुलस रहे थे पौधे प्यारे।बारिश आई अपने
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