Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल “कठिन बुढ़ापा बीमारी है”

हिम्मत अभी नहीं हारी हैजंग ज़िन्दगी की जारी है—मोह पाश में बँधा हुआ हूँये ही तो दुनियादारी है—ज्वाला शान्त हो

Read More
बाल कविता

बालगीत “जोकर खूब हँसाये”

जो काम नही कर पायें दूसरे,वो जोकर कर जाये।सरकस मे जोकर ही,दर्शक-गण को खूब रिझाये।—नाक नुकीली, चड्ढी ढीली,लम्बी टोपी पहने,उछल-कूद

Read More
गीत/नवगीत

गीत “नारी की तो कथा यही है”

अपने छोटे से जीवन मेंकितने सपने देखे मन में—इठलाना-बलखाना सीखाहँसना और हँसाना सीखासखियों के संग झूला-झूलामैंने इस प्यारे मधुबन मेंकितने

Read More
बाल कविता

बालकविता “सबका ऊँचा नाम करूँ”

मैं अपनी मम्मी-पापा के,नयनों का हूँ नन्हा-तारा।मुझको लाकर देते हैं वो,रंग-बिरंगा सा गुब्बारा।।—मुझे कार में बैठाकर,वो रोज घुमाने जाते हैं।पापा

Read More
गीत/नवगीत

“हर सिक्के के दो पहलू हैं”

“हर सिक्के के दो पहलू हैं”—हर सिक्के के दो पहलू हैं,उलट-पलटकर देख ज़रा।बिन परखे क्या पता चलेगा,किसमें कितना खोट भरा।।—हर

Read More
बाल कविता

बालगीत “साधारण जीवन अपनाना”

जननी-जन्मभूमि को अपनी,बच्चों कभी नहीं बिसराना।ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा,साधारण जीवन अपनाना।।—रोज नियम से आप सींचना,अपनी बगिया की फुलवारी।मत-मजहब के गुलदस्ते

Read More
गीत/नवगीत

गीत “प्रीत का व्याकरण”

घूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनीकण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।—ताल

Read More
बाल कविता

बालगीत “चौमासे ने अलख जगाई”

रिमझिम-रिमझिम पड़ीं फुहारे।बारिश आई अपने द्वारे।।—तन-मन में थी भरी पिपासा,धरती का था आँचल प्यासा,झुलस रहे थे पौधे प्यारे।बारिश आई अपने

Read More