लौटना भर है…
हर आना समेटे हैं लौटकर चले जाना मुझ तक आया ,लौट गया तुम तक आकर भी लौट जाएगा दूर हवा
Read Moreहर आना समेटे हैं लौटकर चले जाना मुझ तक आया ,लौट गया तुम तक आकर भी लौट जाएगा दूर हवा
Read Moreतुमने स्वयं के भीतर स्वयं का जन्म होते देखा है कभी क्या तुमने तोड़े है कभी बगिया के आम माली
Read Moreउसने जन्म के साथ ही आकाश की ओर देखा , देखती रही और नापती रही उसकी ऊचाई में छिपे गहराई
Read Moreदो जिस्म जब बैठे थे नदी किनारे आँखे नदी की गहराई तलाश रही थी सवाल जवाब गूंजते रहे देर तक
Read Moreसदियों पुराना प्रेम जब आज की गलियों में भटक रहा था मै सोचता रहा तुमसे इसका जिक्र फिर से करू
Read Moreसाँसे अटकी रही प्रेम हाफता रहा देर तलक खो गये रास्ते सभी जो रात में पहुँच ते थे बिस्तर तक
Read Moreतुमसे बड़ा धूर्त नहीं कोई तुम रिश्तो के बीज बोने में अव्वल हो पर तुम्हारे भीतर पनप रहे अहं को
Read Moreरात जहाँ पहुचती है घुप्प अँधेरे के साथ मौत अपने वहशीपन से बाहर निकलकर विचरण करती है तलाश करती किसी
Read Moreसंघर्ष सृजन के लिए किया जाता रहा सृजन से फिर आकांक्षाओं की पूर्ति पूर्ति के बाद बढ़ता उबासीपन उबासिया से
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