ये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो
ये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो ऐसे वक्त में तो काज़ी,नज़ाकत से काम लो क्या सोचा तुम्हारे कर्मों का
Read Moreये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो ऐसे वक्त में तो काज़ी,नज़ाकत से काम लो क्या सोचा तुम्हारे कर्मों का
Read Moreक़त्ल कीजिए और हँसिए ज़रा इस हसीन शहर में बसिए ज़रा बाँहों में कैद दरिया तो घुट गया अब दो
Read Moreइन खुली फ़िज़ाओं में जो आज़ाद लहर बहती है वो चीख़-चीख कर हर एक से बस यही कहती है घर-बार,
Read Moreतुम्हें बस ख़बर ही नहीं है वर्ना गुनाह यहाँ रोज़ होता है इस हुश्न की चारागरी में तो इश्क़ तबाह
Read Moreज़ुल्म होता रहे और आँखें बंद रहें ऐसी आदत किसी काम की नहीं बेवजह अपनी ही इज़्ज़त उछले तो ऐसी
Read Moreमुझे देखकर सब तेरा नाम पूछते हैं रात-दिन और सुबहो-शाम पूछते हैं कैसे छिपा रखा है तुझ को खुद में
Read Moreइस जहाँ में ख़लिश मैं ही हूँ दीवाना या रात की ख़ामोशी सुनता है कोई और भी आसमान के नीदों
Read More“तुम चलोगी क्या?” क्षितिज ने जूतों के फीते बाँधते हुए रसोई में व्यस्त रश्मि से पूछा। कुकर की सीटी में क्षितिज
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