गीतिका/ग़ज़ल

ये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो

ये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो
ऐसे वक्त में तो काज़ी,नज़ाकत से काम लो

क्या सोचा तुम्हारे कर्मों का हिसाब नहीं होगा
अब अपनी सफाई के सारे साज़ो-सामान लो

ये तमाम रियासतें धरी की धरी ही रह जाएँगीं
अपने गुनाहों की माफी अब सुबहो-शाम लो

जिस्म सारा दुहरा जा चुका बेदिल कामों में
अब तो बच्चों के साथ दो वक्त आराम लो

मंदिर-मस्जिद करके तुमने बहुत घर हैं तुड़वाएँ
अंतिम घड़ी में ही सही,अमन का पैग़ाम लो

कोई मिल्कियत नहीं टिकती उसके दरबार में
अपनी ज़ुबान पे कभी अल्लाह तो कभी राम लो

सलिल सरोज

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : salilmumtaz@gmail.com